बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न बाल विवाह पर सख्ती, नशे के खिलाफ जागरूकता जरूरी -डॉ आशुतोष चतुर्वेदी
बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न
बाल विवाह पर सख्ती, नशे के खिलाफ जागरूकता जरूरी -डॉ आशुतोष चतुर्वेदी
कोरिया 24 अक्टूबर 2024/ जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी की अध्यक्षता में आज जिला बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में बच्चों के संरक्षण और उनके पुनर्वास, बाल विवाह, नशा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।
आज हुई जिला बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति की त्रैमासिक बैठक में एजेंडेवार चर्चा की गई। बाल गृह (बालक) में निवासरत 15 बच्चों को पांच श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिसमें अनाथ, परित्यक्त और अनफिट गार्जियन के तहत बच्चों के दत्तक ग्रहण के लिए आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए। इसके साथ ही, सड़क जैसी परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों की पहचान के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण और रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें अब तक 19 बच्चों को बचाया गया है।
बैठक में बाल विवाह, बाल श्रम और नशे के विरुद्ध जागरूकता अभियान पर भी चर्चा की गई। डॉ चतुर्वेदी ने सम्बंधित अधिकारियों से कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है, इसे रोकने के लिए सम्बंधित विभाग व प्रशासन हर सम्भव प्रयास कर रही है साथ ही गांवों व सामाजिक स्तर पर जन जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत बताया। बाल विवाह मुक्त जिला बनाने के लिए विभाग द्वारा व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाए जाने की दिशा में आवश्यक निर्देश जारी किए गए।
उन्होंने नशे के खिलाफ प्राथमिक स्तर पर आंगनवाड़ी केन्द्र, स्कूल व कॉलेजों में अभियान चलाने को कहा। उन्होंने कहा नशा स्वयं, परिवार व समाज के लिए घातक है, बुराई है। उन्होंने शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि स्कूल व सार्वजनिक स्थानों में गुटका, तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट का विक्रय न हो तथा ऐसे करते पाए जाने पर नियमानुसार कार्यवाही करें। पोस्टर, पम्पलेट व अन्य प्रचार माध्यमों से नशे के खिलाफ जन जागरण करने को कहा गया।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने जानकारी दी कि किशोर न्याय बोर्ड में सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिक्तियों के कारण गंभीर और जघन्य अपराधों से जुड़े मामलों के लंबित। वर्तमान में बोर्ड के समक्ष 295 से अधिक प्रकरण लंबित हैं, जिनके जल्द निस्तारण के लिए कदम उठाने की योजना बनाई गई है। डॉ चतुर्वेदी ने इसे संज्ञान में लेते हुए एक पत्र भेजने की सहमति दी।
बैठक के दौरान विशेष रूप से पॉक्सो पीड़ित बच्चों के उपचार और पुनर्वास पर जोर दिया गया। सखी वन स्टॉप सेंटर के बारे में भी विशेष चर्चा की गई । सेंटर में मानसिक रूप से पीड़ित व विक्षिप्त को रखने के लिए उचित वातावरण व साफ-सुथरा कमरा में रखने के निर्देश दिए।
बैठक में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्रीमती अमृता दिनेश मिश्रा सहित महिला एवं बाल विकास, पुलिस, श्रम, शिक्षा, खेल, समाज कल्याण, कौशल विकास आदि विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।