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रिटायरमेंट से महज 14 दिन पहले रिश्वतखोरी में फंसे जिला शिक्षा अधिकारी, ACB ने रंगे हाथों दबोचा..।

रिटायरमेंट से महज 14 दिन पहले रिश्वतखोरी में फंसे जिला शिक्षा अधिकारी, ACB ने रंगे हाथों दबोचा..………

सूरजपुर। जिले में रिटायरमेंट से महज 14 दिन पहले जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) रामललित पटेल रिश्वत लेते गिरफ्तार हो गए। एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने उन्हें एक लाख रुपये लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। शिक्षा विभाग में प्रतिपूर्ति राशि जारी करने के एवज में वह निजी स्कूल संचालकों से कमीशन वसूल रहे थे। यह मामला सिर्फ एक घूसखोरी की घटना नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के एक लंबे इतिहास का हिस्सा है। पटेल पर पहले भी 34 लाख के मिलेट घोटाले और किताब घोटाले में गड़बड़ी के आरोप लग चुके हैं। लेकिन अब, जब वह सेवानिवृत्त होने वाले थे, तो उनकी अंतिम कमाई की यह कोशिश उनके पूरे करियर को सवालों के घेरे में खड़ा कर गई।

ACB ने ऐसे रची गिरफ्तारी की साजिश : ACB अंबिकापुर कार्यालय में रामरति पब्लिक स्कूल के संचालक उज्जवल प्रताप सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी कि जिला शिक्षा अधिकारी बिना रिश्वत के सरकारी सहायता राशि जारी नहीं कर रहे हैं। इस भ्रष्टाचार में छत्तीसगढ़ पब्लिक स्कूल (दतिमा), सरस्वती बाल मंदिर (सोनपुर), प्रिया बाल मंदिर (भटगांव) और लक्ष्मी विद्या निकेतन (नरोला) के संचालकों को भी प्रताड़ित किया जा रहा था। पटेल ने इन स्कूलों से 10% कमीशन की मांग की थी, जो कुल 1.82 लाख रुपये तक पहुंच गई। शिकायत की पुष्टि के बाद ACB ने जाल बिछाया। योजना के तहत, पहली किश्त के रूप में 1 लाख रुपये कार्यालय में देने की व्यवस्था की गई। जैसे ही पटेल ने रिश्वत की राशि हाथ में ली, ACB की टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया।

तलाशी में निकले अतिरिक्त 2 लाख रुपये, बढ़ सकती है जांच : गिरफ्तारी के बाद जब पटेल के कार्यालय और घर की तलाशी ली गई, तो वहां से 2 लाख रुपये नकद बरामद हुए। यह रकम भी अन्य स्कूल संचालकों से मिली रिश्वत की थी। इसके बाद अधिकारियों को शक है कि पटेल के पास आय से अधिक संपत्ति हो सकती है। अब उनके बैंक अकाउंट और संपत्तियों की जांच भी शुरू कर दी गई है।

भ्रष्टाचार का लंबा इतिहास, पहले भी हो चुके हैं निलंबित : रामललित पटेल का नाम इससे पहले भी कई विवादों में रह चुका है-

* 34 लाख के मिलेट्स घोटाले – 2023 में उन्हें खाद्य विभाग की योजना में गड़बड़ी के कारण निलंबित किया गया था, लेकिन कुछ समय बाद बहाल कर दिया गया।
* पाठ्य पुस्तक घोटाला – सरकारी स्कूलों के लिए जरूरत से ज्यादा किताबें मंगवाकर अवैध बिक्री करने का आरोप।
* अन्य रिश्वतखोरी के आरोप – कई बार स्कूल संचालकों से पैसे लेने की शिकायतें मिली थीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

अब सवाल यह उठता है कि क्या शिक्षा विभाग में और भी अधिकारी इसी तरह भ्रष्टाचार में लिप्त हैं?

रिटायरमेंट से पहले गिरफ्तारी – करियर पर काला धब्बा : पटेल 28 फरवरी 2025 को रिटायर होने वाले थे। लेकिन उनके तीन दशक लंबे करियर का अंत एक घोटाले और गिरफ्तारी के साथ हुआ। जहां आमतौर पर अधिकारी रिटायरमेंट से पहले खुद की छवि सुधारने में लगते हैं, वहीं पटेल ने इस मौके को अपनी अवैध कमाई के लिए इस्तेमाल किया। अब पटेल पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act, 1988) की धारा 7 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां आगे की कार्रवाई होगी।

क्या यह कार्रवाई और बड़े भ्रष्टाचारियों तक पहुंचेगी?

पटेल की गिरफ्तारी सिर्फ एक अधिकारी तक सीमित नहीं होनी चाहिए। सवाल यह भी है कि क्या शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी भी इसी तरह रिश्वतखोरी में लिप्त हैं? क्या सरकार और प्रशासन इस मामले में अन्य भ्रष्ट अधिकारियों पर भी शिकंजा कसेंगे? इस घटना ने छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग की साख पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अब यह देखना होगा कि ACB और प्रशासन इस मामले को कितना आगे तक ले जाते हैं।

By :: newsnt24live 

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